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NRI की प्रोफाइल बनाकर शादी के बहाने ठगी, गाजियाबाद में चल रहा था बड़ा 'खेल'

गाजियाबाद मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर एनआरआई की प्रोफाइल बनाकर शादी के बहाने करने वाले गैंग के 5 बदमाशों को साइबर सेल ने गिरफ्तार किया है। इनमें एक नाइजीरियन भी शामिल है। गैंग ने असम में जूनियर साइंटिस्ट के साथ 7 लाख रुपये की ठगी की थी। ठगी के रुपये जिस बैंक खाते में जमा कराए गए, वह गाजियाबाद का था। ऐसे में शिकायत को मिली। एसपी सिटी निपुण अग्रवाल ने बताया कि गैंग का लिडर यज्जिद अबेदोह के साथ अक्षय तलवार, प्रिंस, अजीत सिंह और मनीष कुमार को गिरफ्तार किया गया है। गैंग लॉकडाउन के बाद से लोगों से ठगी कर रहा था। उनसे जुड़े लोगों के बारे में जानकारी की जा रही है। पुलिस का अनुमान है कि ठगों ने देशभर के लोगों से मैट्रिनोनियल वेबसाइट से ही 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी की है। 'साइंटिस्ट को बताया था कि डॉक्टर हूं' सीओ साइबर सेल अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि आरोपितों ने मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर प्रोफाइल बनाने के बाद मूलरूप से बिहार की रहने वाली साइंटिस्ट से बात करना शुरू किया। साइंटिस्ट की ड्यूटी असम में चल रही है। ठग ने विकास दीक्षित के नाम से फर्जी प्रोफाइल बनाकर खुद को बिहार का रहने वाला बताया। पेशे से खुद को डॉक्टर और पोस्टिंग यूएस में बताई। करीब 1 महीने तक कॉल और वॉट्सऐप पर बात करने के बाद आरोपित ने दिसंबर में महिला से मिलने से के लिए कहा। 22 दिसंबर को पीड़िता को कॉल कर दिल्ली एयरपोर्ट पर गिफ्ट के कारण कस्टम डिपार्टमेंट की ओर से पकड़ने की बात कही। इसके बाद महिला को अलग-अलग नंबर से पुलिस और कस्टम के नाम से कॉल की गई। फिर दो अकाउंट में सात लाख रुपये डलवाए गए थे। पीड़िता ने असम के साथ ही गाजियाबाद पुलिस से भी ईमेल से शिकायत की थी। पुलिस का दावा है कि आरोपितों ने 50 से ज्यादा इस तरह की फर्जी प्रोफाइल बनाई हैं। एजुकेशन वीजा पर आया था बेंगलुरु साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि मास्टरमाइंड यज्जिद नाइजीरिया का रहने वाला है। वह 2013 में एजुकेशन में वीजा पर बेंगलुरु में की पढ़ाई करने आया था। 2016 में पास होने के बाद लौटा नहीं और यहीं ठगी करने लगा। 2018 में गुड़गांव से कनाडा में जॉब लगवाने के नाम पर ठगी के मामले में वह जेल गया था। वह जनवरी 2020 में छूटा था। इसके बाद उसने मैट्रिमोनियल साइट से ठगी करने की प्लानिंग की और अन्य आरोपितों के संपर्क में आने के बाद नोएडा की पॉश सोसायटी में रहने लगा था। उसके पास से पासपोर्ट मिला है, जिसे रद्द करने लिए लिखा गया है। वीजा के बारे में जानकारी की जा रही है। अक्षय देखता था बैंक खातों का मैनेजमेंट पुलिस को आरोपितों के पास से 100 से ज्यादा बैंक अकाउंट की डिटेल मिली है। सीओ फर्स्ट ने बताया कि अक्षय तलवार का कार्य अकाउंट मैनेज करने का होता था। अक्षय अपनी फोटो और दूसरे की डिटेल के साथ फर्जी आधार कार्ड तैयार करता था। इसके बाद पहले खुलवाए गए बैंक खातों से खुद ही गारंटर बन जाता था। बैंक खातों से अब तक 10 करोड़ रुपये से ज्यादा के लेनदेन का पता चला है।


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