खनन घोटाला: पूर्व आईएएस सत्येंद्र के पास 1 अरब से ज्यादा की संपत्ति, जानें कब-कब लगे दामन पर दाग
लखनऊ सीबीआई ने खनन घोटाले में रिटायर्ड समेत 10 लोगों के खिलाफ मंगलवार को एफआईआर दर्ज कर ली। जांच एजेंसी ने सत्येंद्र और उनके करीबियों के नौ ठिकानों पर छापे भी मारे। इस दौरान 44 अचल संपत्तियों के दस्तावेजों के साथ दो करोड़ से ज्यादा की जूलरी, 10 लाख कैश और 51 लाख रुपये से ज्यादा की एफडी मिलीं। सत्येंद्र और उनके परिवार के नाम 36 बैंक खाते और छह लॉकर अचल संपत्तियों की कीमत 100 करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है। सत्येंद्र और उनके परिवार के नाम 36 बैंक खाते और छह लॉकर भी हैं। ये लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद और नई दिल्ली की बैंकों में हैं। उनके लॉकर से एक लाख की पुरानी करेंसी भी मिली है। देर रात तक दस्तावेजों की पड़ताल जारी थी। मामला वर्ष 2012-14 का है अखिलेश सरकार के चहेते सत्येंद्र लखनऊ में डीएम व एलडीए वीसी भी रह चुके हैं। यह मामला वर्ष 2012-14 का है। उस दौरान सत्येंद्र कौशाम्बी में डीएम थे। सीबीआई ने जांच में पाया कि सत्येंद्र ने शासनादेश दरकिनार कर मनमाने तरीके से खनन पट्टे आवंटित या रिन्यू कर दिए थे। उन्होंने नौ खनन पट्टों का नए सिरे से ई-टेंडरिंग प्रक्रिया के तहत आवंटन न कर अपने चहेतों के पक्ष में नवीनीकरण कर दिया। दो नए पट्टे भी बिना ई-टेंडरिंग के आवंटित कर दिए। इन पर भी केस एफआईआर में नामजद आरोपितों में सत्येंद्र के अलावा नेपाली निषाद, नर नारायण मिश्रा, रमाकांत द्विवेदी, खेमराज सिंह, राम प्रताप सिंह, मुन्नीलाल, शिव प्रकाश सिंह, राम अभिलाष और योगेंद्र सिंह हैं। कई मामलों में फंसे पर हर बार बच निकले एलडीए में वर्ष 2014-17 तक बतौर वीसी सत्येंद्र सिंह का कार्यकाल विवादित फैसलों से भरा रहा। कई मामलों में उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। शुरुआती जांचों में इनकी पुष्टि भी हुई। चार्जशीट तक जारी हुई, लेकिन उनके सेवा में रहने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। ये हैं प्रमुख मामले, जो लगाते रहे हैं दाग
- राधाग्राम योजना में 10 बीघा 15 बिस्वां जमीन अधिगृहीत हुई। इसकी लागत 31 लाख थी। लेकिन सत्येंद्र ने जमीन का मुआवजा 45 करोड़ रुपये तय कर दिया।
- कानपुर रोड योजना में खसरा संख्या 185, 186, 187 का मुआवजा 5 करोड़ रुपये तय किया गया, जबकि जांच में यह 5 लाख 36 हजार रुपये निकला।
- नियुक्ति और प्रमोशन में क्रीमीलेयर से जुड़े तथ्य छुपाने का आरोप। नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के आरोप।
- गोमतीनगर और गोमतीनगर विस्तार में मनमाने तरीके से 44 प्लॉटों का भू उपयोग आवासीय से कमर्शल कर दिया।
- जानकीपुरम, कानपुर रोड और गोमतीनगर योजना में भी दर्जनों भूखंडों के अवैध समायोजन के आरोप।
- गोमतीनगर विस्तार सेक्टर-एक में 50 फ्लैटों का एक ही दिन पंजीकरण हुआ। एक ही हैंड राइटिंग में फॉर्म भरे। एक ही दिन भुगतान और एक साथ ही आवंटन पत्र जारी।
- सीजी सिटी, हेरिटेज जोन, जनेश्वर मिश्र पार्क, जेपीएनआईसी प्रॉजेक्ट समेत कई मामलों में भ्रष्टाचार के आरोप।
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