पेट के कीड़े मारने वाली दवा से कोरोना का 'इलाज'
आगरा कोरोना वायरस के इलाज की कोई दवा अभी तक नहीं बन सकी है। भारत, रूस, अमेरिका समेत दुनियाभर के कई देश इसकी दवा और वैक्सीन बनाने पर रिसर्च कर रहे हैं। इस बीच कोरोना के इलाज के लिए आगरा में भी 'धारावी मॉडल' अपनाया जाएगा। अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने हाल ही में आगरा के अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें कोरोना कंट्रोल करने को लेकर विचार विमर्श किया गया। अपर मुख्य सचिव ने मुंबई की झुग्गी बस्ती धारावी में कोरोना के संक्रमण की रोकथाम के लिए इस्तेमाल की गई पेट के कीड़े मारने वाली दवा आइवरमेक्टिन पर चर्चा करते हुए कहा कि इस दवा को हॉटस्पॉट, झुग्गी बस्तियों और क्लस्टर में बांटा जाए। साथ ही स्वास्थ्यकर्मियों को भी यह दवा दी जाए। जिससे संक्रमण पर ब्रेक लगाया जा सके। कीड़े मरेंगे तो नहीं होगा कोरोना डीएम प्रभु एन सिंह ने बताया कि पेट के कीड़े मारने की दवा बीमारी को रोकने में कारगर साबित होगी। जब पेट सही होगा तो इम्युनिटी सिस्टम भी अच्छा रहेगा और कोरोना से लड़ने की ताकत भी मिलेगी। पेट के कीड़े मारने की दवा का पहला प्रयोग मुंबई में किया गया था जो काफी कारगर साबित हुआ था। यहां भी इस तरह का प्रयास किया जा रहा है। एसएन हॉस्पिटल में काम कर रहीं तीन टीम आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि वर्तमान में कोरोना को लेकर तीन टीमें काम कर रही हैं। जिनमें एक टीम इलाज कर रही है, दूसरी आइसीयू में मरीजों की देखभाल और तीसरी टीम कंट्रोल रूम में हाई डेफिनेशन कैमरों से मरीजों पर नजर रख रही है। सीएमओ डॉ. आरसी पांडे ने बताया कि कोरोना के केस में मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत होती है, हाई फ्लो नेजल कैनुला से मरीजों को आक्सीजन दी जा रही है।
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