दमदार बल्लेबाजी के बलबूते बना था यूपी टीम का उप कप्तान; अब चना-लाई भूनकर पिता का हाथ बंटा रहा क्रिकेटर
समाज में ऐसे दिव्यांगजनों की बहुत सीमित संख्या है जो अपने बलबूते पर अपनी व्यक्तिगत पहचान बना पाते हैं। उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिले का रहने वाला चंदन कुमार भी उन्हीं लोगों में से एक है। जिसने अपनी मेधा की बदौलत उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ ब्लाइंड (यूपीसीएबी) का उप कप्तान बनने तक का सफर तय किया। चंदन दृष्टिबाधित क्रिकेट खेल का खिलाड़ी हैं। लेकिन कोरोना वैश्विक महामारी के बाद खेल आयोजन बंद हो गए। लॉकडाउन के चलते घर की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ गई। ऐसे में वह लाई-चना भुनने के लिए मजबूर हैं। चंदन ने प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री योगी व खेल मंत्री को पत्र भेजकर आर्थिक मदद की मांग की है।
शक्तिनगर के रहने वाले प्यारेलाल की 7 संतानों में तीसरे नंबर चंदन कुमार है। उनकी आंख का विजय 50 प्रतिशत है। 12वीं तक पढ़े 22 साल के चंद्र साल 2017 में दिव्यांग क्रिकेटर लव वर्मा के संपर्क में आए थे। साल 2018 में टीम इंडिया की तरफ सेबंग्लुरू में इंग्लैंड के खिलाफ मैच खेला था। तब भारत को शानदार जीत दिलाई थी।उसके बाद यूपीसीएबी में उप कप्तान बना दिया गया। चंदन अब तक दिल्ली, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों में आयोजित टूर्नामेंट में उत्तर प्रदेश को ट्रॉफी दिला चुके हैं।चंदन के पिता फुटपाथ पर लाई-चने की दुकान है। इसी दुकान से परिवार का भरण पोषण होता है। इन दिनों चंदन हालात से संघर्ष करते हुए पिता का हाथ बंटाने के लिए मजबूर हैं। दैनिक भास्कर प्लस ऐप ने चंदन से बात की। एक रिपोर्ट...
सवाल: परिवार में कौन कौन हैं?
जवाब: मेरा नाम चंदन कुमार गुप्ता है। मैं शक्ति नगर में रहता हूं। मेरे परिवार में आठ लोग हैं। मेरी तीन बहनों व बड़े भाईकी शादी हो चुकी है। अभी मैं व मेरा छोटी भाई और एक बहन अविवाहित हैं। माता-पिता के अलावा भाभी व उनके बच्चे हैं।
सवाल: क्रिकेट क्षेत्र की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या रही?
जवाब: मैं दृष्टिबाधित उत्तर प्रदेश क्रिकेट टीम का उप कप्तान हूं।2 अक्टूबर साल2018 में भारत व इंग्लैंड के बीच आयोजित अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में भारत की तरफ से खेलकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी। यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
सवाल: आप इस समय चना भूनने का काम कर रहे हैं? क्रिकेट बंद है क्या?
जवाब: घर की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के बावजूदसरकार की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिला है। परिवार का खर्च चलाने के लिएपिता जी को बहुत ज्यादा काम करना पड़ता है।इसलिए उनका हाथ बंटाने के लिए मुझे भी उनका सहयोग करना पड़ रहा है।
सवाल: क्या क्रिकेट खेलना छोड़ने का विचार कर रहे हैं?
जवाब: जिस तरह से आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही है और खेलने के लिए पैसे भी नहीं है। आसपास जिलों में कहीं टूर्नामेंट होता था तो पिता किसी तरह पैसों का जुगाड़ कर देते थे। लेकिन अब मनोबल टूट रहा है।
सवाल: 2022 में वर्ल्ड कप प्रतियोगिता होने जा रही है तो क्या प्रतिभाग करेंगे?
जवाब: खेलने कीबहुत इच्छा है कि देश के लिए खेलें। देश का नाम रोशन करें। लेकिन 2021-22 में खेलने के लिए तैयारी करना जरूरी है। आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से स्पोर्ट्स का कोई समान नहीं है। जिससे हम तैयारी कर सकें।
सवाल: आप अपना आदर्श किसे मानते हैं?
जवाब: सचिन तेंदुलकर।
चंदन की मदद के लिए सामाजिक संगठन सामने आए
चंदन की मदद के लिएकुछ समाजसेवी संगठन सामने आए हैं। जिन्होंनेजिलाधिकारी एस राजलिंगम को मांग पत्र भेजकर चंदन कुमार गुप्ता को जनपद में स्थापित सरकारी अथवा निजी संस्थान में नौकरी दिएजाने की मांग की है। वहीं, लोगों का कहना है कि,अरबों रुपए खेल मंत्रालय द्वारा आवंटित होने के बावजूद हमारे उत्तर प्रदेश के बेहतरीन खिलाड़ी भी उपेक्षित हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। जबकि हरियाणा सहित अन्य राज्य में दृष्टिबाधित खिलाड़ियों को सरकार ने नौकरी दे रखा है।
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