शहीद CO पर पहले भी गोली चला चुका था विकास
कानपुर दो-तीन जुलाई की रात (Vikas Dubey) और उसके गैंग के हाथों शहीद हुए बिल्हौर के सीओ देवेंद्र मिश्रा से कुख्यात विकास दुबे 22 साल से रंजिश रखे था। विकास ने 22 साल पहले 1998 में भी देवेंद्र मिश्रा पर गोली चलाई थी। उस दौरान देवेंद्र कल्याणपुर थाने में हेड कॉन्स्टेबल थे। देवेंद्र एक मामले में विकास के खिलाफ कार्रवाई पर अड़े थे। उस समय विकास को बचाने के लिए बीएसपी नेता राजाराम पांडेय ने समर्थकों के साथ थाना घेर लिया था। राजनीतिक दबाव के चलते बाद में विकास को एनडीपीएस के तहत 20 पुड़िया स्मैक के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। हालांकि, विकास इस केस में दोषमुक्त हो गया था लेकिन इससे पहले पुलिस ने उसके खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई कर दी थी। बिकरू कांड की जांच से जुड़े पुलिस अफसर के मुताबिक देवेंद्र को लेकर विकास के मन में वर्ष 1998 से ही नफरत थी। दरअसल, 1998 में कल्याणपुर थाने के तत्कालीन इंचार्ज हरिमोहन सिंह तब देवेंद्र के साथ एक केस के संबंध में विकास से पूछताछ करने गए थे। सार्वजनिक स्थान पर ही विकास ने कहासुनी होने पर देवेंद्र पर फायरिंग कर दी थी। जवाब में देवेंद्र ने भी गोली चलाई थी, लेकिन विकास बच गया था। वह विकास के खिलाफ पुलिस पर जानलेवा हमले का मुकदमा लिखना चाहते थे, लेकिन राजनीतिक दबाव में ऐसा न हो सका। देवेंद्र का एसआई के पद पर प्रमोशन होने के बाद कल्याणपुर थाने से तबादला कर दिया गया था। पढ़ें: सीओ बनने पर कसने लगे थे शिकंजा वर्ष 2002 में बर्रा थाने में एसओ के पद पर तैनाती के दौरान देवेंद्र का एक बार फिर विकास से आमना-सामना हुआ। हालांकि मामला ज्यादा नहीं बढ़ा। इस बीच देवेंद्र का दूसरे जिले में तबादला हो गया। देवेंद्र वर्ष 2002 में इंस्पेक्टर और वर्ष 2016 में डीएसपी के पद पर प्रमोट हुए। कुछ माह पहले ही उनकी कानपुर में तैनाती हुई और बिल्हौर का सीओ बनाया गया। ऐसे में विकास को लगने लगा कि देवेंद्र कानूनी रूप से उसे और उसके लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हुआ भी यही और देवेंद्र ने विकास पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। देवेंद्र ने विकास का समर्थन करने वाले तत्कालीन एसओ तथा अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्ती शुरू कर दी। सीओ ने विकास से जुड़े मुकदमों की समीक्षा शुरू की तो विनय तिवारी और अन्य पुलिसकर्मी इसकी सूचना विकास तक पहुंचाते रहे। पढ़ें: विकास ने कबूली थी रंजिश सीओ बिल्हौर रहने के दौरान दवेंद्र ने विकास के खिलाफ दो मुकदमे भी दर्ज करवाए। पहली शिकायत रोली शुक्ला नामक महिला की तरफ से दर्ज करवाई गई। दूसरी एफआईआर जानलेवा हमले और अपहरण की राहुल तिवारी ने करवाई। दो जुलाई की रात जब विनय तिवारी और अन्य मददगार पुलिसकर्मियों ने विकास को बताया कि देवेंद्र उसके यहां दबिश देने आ रहे हैं तो विकास ने उनसे हिसाब बराबर करने की ठान ली। एसटीएफ और उज्जैन पुलिस से पूछताछ में भी उसने सीओ से रंजिश की बात कबूल की थी। एसआईटी बिकरू कांड के इस पहलू को भी अपनी जांच में शामिल करेगी।
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