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30 पुड़िया स्मैक के साथ पकड़ा गया था विकास दुबे, थानाध्यक्ष से भिड़ा तो सिपाही रहे देवेंद्र मिश्र ने की थी जमकर पिटाई

बात 1998 की है। गैंगस्टर विकास दुबे को कल्यानपुर थाने की पुलिस ने स्मैक की 30 पुड़िया के साथ गिरफ्तार किया गया था। पुलिस को जब थाने लाया गया ताके वह तत्कालीन थानाध्यक्ष हरिमोहन यादव से भिड़ गया। पुलिसकर्मियों ने चुप कराने की कोशिश की तो वह उन्हें गालियां देने लगा। देवेंद्र मिश्र उस वक्त कल्यानपुर में सिपाही थे। देवेंद्र को विकास दुबे की बद्तमीजी बर्दाश्त नहीं हुई। उन्होंने बेंत से उसकी जमकर पिटाई की और हवालात में बंद कर दिया। तब विकास ने देवेंद्र मिश्र को देख लेने की धमकी दी थी। कहा जाता है कि, उस समय के बसपा विधायक औरअब के भाजपा विधायक के अलावा पूर्व सांसद विकास दुबे की पैरवी करने के लिए पहुंच गए थे।

तो विकास दुबे और देवेंद्र मिश्र के बीच 22 सालों से दुश्मनी चल रही थी, जिसका अंत दो जुलाई को बिकरु गांव में शूटआउट से हुआ। देवेंद्र मिश्र को विकास दुबे और उसकी गैंग ने बेरहमी से मार डाला तो पुलिस ने विकास दुबे का कानपुर शहर से 17 किमी दूर भौंती में एनकाउंटर करके सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत काबदला लिया।

दो बार मिला था आउट ऑफ टर्न प्रमोशन

देवेंद्र मिश्र बांदा जिले के रहने वाले थे। वे साल 1981 में सिपाही के पद पर पुलिस में भर्ती हुए थे। विभागीय परीक्षा पास करने के बाद वे दरोगा बने थे। साल 2005 में उन्होंने उन्नाव के आसीवन थाने का इंचार्ज बनाया गया था। यहां उन्होंने एक शातिर बदमाश का एनकाउंटर किया था। जिसकी वजह से उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला था। इसके बाद 2016 में गाजियाबाद में तैनाती के दौरान दोबारा आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर पुलिस उपाधीक्षक बने थे।

बिल्हौर सर्किल मिलने के बाद विकास के खिलाफ खोला था मोर्चा

कल्यानपुर थाने में सिपाही रहे देवेंद्र मिश्र जब बिल्हौर सर्किल के सीओ बनकर आए तो वे विकास दुबे की हर एक गतिविधि पर नजर बनाए हुए थे।लेकिन सीओ देवेंद्र मिश्रा को विकास के लोकल थानाचौबेपुर से सहयोग नहीं मिल रहा था। सीओ अपने स्तर से विकास के किसी भी काम को नहीं होने दे रहे थे। इस बात को लेकर देवेंद्र मिश्रा और विकास दुबे के बीच आमने सामने भी झड़प हो चुकी थी। जिसकी वजह से दोनों के बीच खुन्नस बढ़ती जा रही थी। वहीं,चौबेपुर थाने के निलंबित एसओ विनय तिवारी हिस्ट्रीशीटर की दोस्ती गहरी होती जा रही थी। विनय तिवारी सीओ की हर एक गतिविधिकी जानकारी विकास दुबे तक पहुंचाने का काम करता था। इसके साथ ही विनय तिवारी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के कान भरता था कि सीओ उसके एनकाउंटर की तैयारी कर रहे हैं। इसी वहज से सीओ की नृशंस हत्या की थी।


विकास दुबे ने कहा था-‘मेरे खिलाफ सुबूत नहीं जुटा पाओगे’
कानपुर के चौबेपुर थाना केबिकरू गांव में 2 जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे और उसकी गैंग ने8 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी। जिसमें सीओ देवेंद्र मिश्र भी शामिल थे। अगली सुबह से ही यूपी पुलिस विकास गैंग के सफाए में जुट गई। गुरुवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर से सरेंडर के अंदाज में विकास की गिरफ्तारी हुई थी। शुक्रवारसुबह कानपुर से 17 किमी पहले भौंती मेंपुलिस ने विकास को एनकाउंटर में मार गिराया। गिरफ्तारी के बाद विकास दुबे कोइस बात का अंदाजा नहीं था कि कानपुर की सीमा में दाखिल होते ही उसका एनकांटर हो जाएगा। विकास दुबे ने पुलिस की टीम से कहा था कि मेरे खिलाफ सुबूत नहीं जुटा पाओगे। दबिश की रात कहां से गोलियां चल रही थी?कौन गोलियांचला रहा था, किसी ने नहीं देखा है?मैं तो कोर्ट में बोल दूंगा कि मैं तो था ही नहीं। मेरे पास कोई लाइसेंसी असलहा भी नहीं है। चार से पांच साल बाद जमानत हो जाएगी।



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दिवंगत सीओ बिल्हौर रहे देवेंद्र मिश्र।


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