विकास इतना जालिम था कि पेपर पर अंगूठा लगवाने के लिए बुजुर्ग का अंगूठा काट लिया था
‘जिनके पास सरकारी हथियार हैं, वे वापस कर दें, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।’ लाउडस्पीकर पर यह ऐलान बिकरू गांव में किया जा रहा है। कानपुर शहर से 35 किमी दूर यह गांव पहले पुलिस वालों की हत्या और फिर गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर से चर्चा में है।
पुलिस की मुस्तैदी बढ़ गई है। डेढ़ सौ से ज्यादा जवान-अफसर तैनात हैं। आरआरएफ की भी एक टुकड़ी तैनात कर दी गई है। घटना में विकास और उसके साथियों ने पुलिस के हथियार लूट लिए थे। पुलिस इन्हें रिकवर करना चाह रही है। यूं तो गांव में घूमने पर हर जगह सन्नाटा ही दिख रहा है।
लेकिन कई-कई बार पूछने पर कुछ महिलाओं ने बताया कि डर के मारे घर के मर्द फरार हैं। अभी भी दो दर्जन से ज्यादा घरों पर ताला लटका है। उन घरों के मर्दों के साथ-साथ परिवार भी भाग गए हैं। पुलिस गांव में सबसे पूछताछ कर रही है। पुलिस के मुताबिक गांव की आबादी 1400 है। विकास के साथियों की तलाश के लिए बिकरू और आसपास के 4-5 गांव के करीब 2500 मोबाइल नंबर सर्विलांस पर हैं।
गांव में ऐसा कोई नहीं जिससे तीन बार पूछताछ नहीं हुई
पुलिस गांव के हर घर की 3-4 बार तलाशी ले चुकी है। बच्चों को छोड़ दें तो गांव में संभवतः कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं बचा, जिससे पुलिस ने दो-दो, तीन-तीन बार पूछताछ नहीं की हो। शिबली न्याय पंचायत के पूर्व अध्यक्ष लल्लन बाजपई बताते हैं कि चौबेपुर, बिल्हौर, बिठूर, शिवराजपुर और शिबली सहित कानपुर के जो सीमावर्ती इलाके हैं, वहां अगर किसी को फैक्ट्री, फॉर्म हाउस या बड़ा बंगला बनाने के लिए जमीन लेनी होती थी तो विकास पंडित की अनुमति जरूरी होती थी। इसके बदले वह गुंडा टैक्स वसूलता था।
प्रॉपर्टी को विवादित बनाकर उसे खरीदना-बेचना विकास का काम था
यदि किसी ने गलती से बिना बताए या छिपाकर खरीद फरोख्त कर भी ली तो विकास का गैंग उस पर हमला कर देता था। शिबली के एक व्यापारी बताते हैं कि इलाके की जो बेहतरीन दाम देने वाली जमीन होती थी। भले ही वह किसी के नाम हो उस पर वह अपना बोर्ड लगा देता था। इसके बदले मालिक को डरा धमकाकर पैसे वसूलता था। प्रॉपर्टी को विवादित बनाकर उसे खरीदना-बेचना ही उसका प्रमुख काम था। सीनियर जर्नलिस्ट अनूप बाजपई बताते हैं कि विकास ने बिठूर पर नजर गड़ाई जिससे उसने खूब पैसे बनाए।
विकास ने 1994 में एक किसान की हत्या करवा दी थी
बिठूर ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से समृद्ध है। प्रदेश के बड़े बड़े लोग यहां बंगला, फॉर्म हाउस इत्यादि बनवाते हैं। ऐसे में विकास ने किसानों की जमीन कब्जाई और उन्हें ऊंचे दामों में बेचा। स्थानीय लोग बताते हैं कि विकास के अंदर दर्द नहीं था बस वह अपना फायदा चाहता था। गांव में एक बुजुर्ग झन्नू बाबा रहा करते थे। वह अकेले थे। उम्र हो गई थी। उनके पास जमीन भी अच्छी खासी थी।
बताते हैं उन्होंने कुछ जेवरात अपने खेत में ही दबा रखे थे। विकास बाबा के पीछे पड़ गया। उसने पेपर पर अंगूठा लगवाने केे लिए उनका अंगूठा काट लिया था। एक 72 वर्षीय बुजुर्ग ने बताया कि 1994 में एक किसान विकास को जमीन देने को तैयार नहीं था। यह बात विकास को नागवार गुजरी और उसने उस किसान की हत्या कर दी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2CvFe8f
No comments