किसी ने अपने हुनर से संकटकाल को अवसर बनाया तो कोई लोन लेकर खुद को और प्रवासियों की बदल रहा तस्वीर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 'आत्मनिर्भर उत्तरप्रदेश रोजगार अभियान' की शुरुआत की। इस दौरान प्रधानमंत्री गोंडा, बहराइच, गोरखपुर, संतकबीरनगर व सिद्धार्थनगर के छह लोगों से बात की।इस दौरान उन्होंने पहले गोंडा की विनीता और बहराइच के तिलकराम से बात की। प्रधानमंत्री ने तिलकराम से कहा, 'आपको प्रधानमंत्री आवास योजना से मकान मिला है, लेकिन मुझे क्या दोगे।' जवाब में तिलकराम ने कहा, 'हम दुआ करते हैं कि आप पूरी जिंदगी पीएम रहें।' इसके बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि आप मेरे लिए एक काम करेंगे। आप अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई कराएं और इसकी जानकारी मुझे देते रहें। जिन लोगों से पीएम ने बात की, उनकी संघर्षों कीकहानी...
गोंडा: दो साल में फर्श से अर्श तक पहुंचा समूह
यहां हलधरमऊ ब्लॉक मेंबिसुनपुर गांव है। यहां की 10 महिलाएं विनीती की अगुवाई में आत्मनिर्भरता की अनूठी मिसाल पेश की है। विनीता ने दो साल पहले आर्थिक मजबूरियों से जूझ रहीं महिलाओं को जोड़करधनगर स्वयं सहायता समूह बनाया था। उन्होंनेपौधों की नर्सरी काकाम शुरू किया। समूह की महिलाओं ने छोटी-छोटी बचत से जमा पूंजी इकट्ठा की। जिसकी गूंज प्रशासन तक पहुंची। इसके बाद इस समूह को मनरेगा योजना से जोड़ दिया। इसके बाद काम का दायरा बढ़ा तो मुनाफा भी बढ़ गया। अब गांव में 30 हजार रुपए प्रतिमाह के किराए पर जमीन भी ली है। प्रशासन अबपौधों को 7 से 10 रुपएमें खरीदताहै।जबकि प्राइवेट तौर पर इन पौधों को 23 रुपएमें बेचती हैं। पिछले वर्ष समूह को साढ़े तीन लाख का मुनाफा भी हो चुका है और इसी मुनाफे की वजह से इस वर्ष यहां पर करीब 1.50 पौधों की नर्सरी तैयार हो चुकी है।
बहराइच: पहले झोपड़ी थी, अब बन गया पक्का मकान
ब्लॉक शिवपुर के रखौना गांव निवासी तिलकराम को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभ मिला है। वे खेती किसानी करते हैं। उनकी गांव में झोपड़ी थी। बारिश के समय वह टपकती थी। परिवार में माता-पिता, पत्नी व तीन बच्चों के भरण पोषण की जिम्मेदारी तिलकराम के कंधों पर है। उनकी खेती से इतनी कमाई नहीं थी कि, वे अपना पक्का मकान बनवा पाते। लेकिन अब उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास का पैसा मिल गया है। मकान बनकर तैयार है। तिलकराम ने बताया कि, उन्होंने पिपरमेंट की खेती की थी, जिसकी कटाई हो चुकी है। अब धान लगाना है। प्रधानमंत्री ने तिलकराम से सवाल भी किया कि,पक्का मकान मिल गया तो अपेक्षाएं भी बढ़ गई होंगी?अब तो मेहमान भी बहुत आते होंगे? इसका जवाब तिलकराम नेहां में दिया।पीएम ने बच्चों की पढ़ाई के बारें में भी सवाल किया। कहा कि, आपको प्रधानमंत्री आवास मिला, आप प्रधानमंत्री को क्या देंगे। जवाब में तिलकरामपुर ने कहा- आप जिंदगी भर प्रधानमंत्री रहिए। तब मोदी ने कहा-ऐसे ही कहदोगे कि, कुछ देने की बात बोलो। पीएम ने कहा- आप मुझे प्रॉमिस करिए बच्चों को जरुर पढ़ाएंगे।
सिद्धार्थनगर: हुनर के मुताबिक मिला काम, अब नहीं जाऊंगा मुंबई
कोडरा गांव के रहने वाले कुर्बान अली को जब अपने गांव व शहर में रोजगार नहीं मिला तो कमाने के लिए मुंबई चले गए। वहां वे बड़ी बड़ी बिल्डिंग को बनाने का काम करते थे। उनके साथ उनका भाई भी वहां रहता था। लेकिन लॉकडाउन लगा तो रोजगार छिन गया। कुछ दिन जमा पूंजी से खर्च चला। लेकिन समय बीतने के साथ मुश्किलें भी बढ़ती गईं। लगा कि, मुंबई में और दिन रुके तो बीमारी से मरें या न मरें भूख से जरूर मर जाएंगे। आखिरकार 12 मई को कुर्बान अली अपने भाई के साथ वापस गांव आ गए।गांव में आने से पहले मेडिकल जांच हुई। 21 दिन होम क्वारैंटाइन रहना पड़ा। उन्हें सरकार सरकार की तरफ से एक हजार रुपए व राशन दिया गया। वर्तमान में गांव में ओडीओपी योजना के तहत शौचालय बनाया जा रहा है। जिसमें कुर्बान अली को काम मिल गया है। उन्हें प्रशासन ने राजमिस्त्री का प्रशिक्षण दिलाकर सर्टिफिकेट भी दिया है।
गोरखपुर: लोन लेकर खोली डेयरी, एक भैंस सेहर दिन कमा रहे तीन सौ से अधिक
सहजनवा क्षेत्र के टिकरीयाखोर निवासी अनुसूचित जाति के नागेंद्र सिंह अहमदाबाद के राजूनगर में स्टील बर्तन फैक्ट्री में काम करते थे। लेकिन लॉकडाडन में फैक्ट्री बंद हो गई तो उनका रोजगार छिन गया। वे अहमदाबाद में अपने चाचा के साथ रहते थे। लॉकडाउन में वे 16 अप्रैल को अपने गांव लौट आए। इसके बाद उन्होंने दोबारा अहमदाबाद न जाने का निर्णय लिया। संकल्प लिया कि, गांव में ही रोजगार पैदा करूंगा। नागेंद्र ने डेयरी उद्योग अपनाने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने प्रशासन से बात की। प्रशासन ने प्रवासी मजदूर ॠण योजना के तहत डेयरी खोलने के लिए नागेंद्र ने बैंक से एक लाख रुपए का ऋण लिया। 50 हजार रुपए की पहली किस्त नागेंद्र को मिली तो उन्होंने एक भैंस खरीद लिया। इस योजना के अंतर्गत नागेंद्र क्षेत्र के पहले लाभार्थी हैं। वर्तमान में वे तीन सौ रुपए से अधिक हर दिन कमा रहे हैं। जिससे उनका खर्च निकल रहा है।
जालौन:बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे में मिला काम, मजदूरी में भी कमी नहीं
जालौन के रहने वाले दीपूहैदराबाद में काम करते थे। लेकिन लॉकडाउन के चलते वे बेरोजगाार हो गए। कुछ दिन तो सोचा कि, जल्द हालात सामान्य हो जाएंगे। लेकिन लॉकडाउन बढ़ता ही चला गया। आखिरकार वेघर लौट आए। यहां उन्होंने होम क्वारैंटाइन पूरा किया। करीब एक माह तक वे काम के लिए ईधर-उधर भटकते रहे। लेकिन रोजगार नहीं मिला। लॉकडाउन के चौथे चरण में जब एक्सप्रेस वे परियोजना का काम शुरू हुआ तो दीपू कोबुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के निर्माणमें काम मिल गया है। दीपू ने बताया कि, जितनी मजदूरी वहां मिलती थी, उतना ही यहां भी मिल रहा है। इससे ज्यादा दिक्कत नहीं है। बल्कि जो अनावश्यक खर्च था, वह बंद हो गया है। अब मैं हैदराबाद नहीं जाऊंगा।
संतकबीरनगर: आत्मनिर्भर होने के साथ दूसरों को रोजगार दे रहे श्रीराम और अमरेंद्र
एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत संतकबीरनगर के रहने वाले श्रीराम चंद्रको11 लाख रुपए का लोन स्वीकृत हुआ है। वे होजरी उद्योग चलाते थे। लेकिन काम बहुत छोटे स्तर पर था। लेकिन उन्होंने इस उद्योग को बड़े स्तर पर ले जाने के लिए लोन लिया है। श्रीराम कहते हैं कि, आवेदन करने के बाद कब प्रक्रिया ऑनलाइन हुई, कब पैसा खाते में आ गया, मुझे पता नहीं चला। लॉकडाउन की अवधि में चार कामगार गैर राज्यों सेआए थे। तीन पहले से थे, एक मेरे घर का सदस्य है। आठ लोगों को काम मिल रहा है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नेअमरेंद्र कुमार राय से भी बात की। अमरेंद्र का बेकरी काम है। वे 6-7 साल से यह काम कर रहेहैं। उन्होंने बताया कि, चाय के साथ खाने वाला रस बनाता हूं। बिहार व बलरामपुर के लेबर काम करते हैं। पहले 10-12 थे अब 12 और बढ़ रहे हैं। लोन मिलने के बाद कोराबार भी बढ़ रहा है। सेवाभाव भी हो रहा है।
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