एक ओर बहन की डोली उठी तो दूसरी तरफ भाई की अर्थी, मौत के बाद भी बहन को दिया वचन पूरा किया
गोरखपुर गोरखपुर के बड़हलगंज के पिपरडाडी गांव में एक ऐसी घटना घटी, जिसने वहां मौजूद सभी को गमगीन कर दिया। जहां एक तरफ बहन की डोली को विदा किया गया तो दूसरी ओर भाई की अर्थी को कंधा दे अंतिम विदाई दी गई। मनोज यादव ने अपने पिता की 20 वर्ष पहले मौत हो जाने के बाद परिवार की जिम्मेदारी खुद संभाल रखी थी। मनोज ने अपनी बहन की शादी 5 माह पहले तय की थी। गुरुवार को बहन की धूमधाम से शादी होनी थी, लेकिन होनी के आगे सभी मजबूर होते हैं। शादी के 3 दिन पहले ही मनोज की तबीयत खराब हुई। घर पर इलाज चला सांस लेने में दिक्कत होने पर ऑक्सिजन की व्यवस्था की गई, लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। बहन ने भाई से शादी कैंसिल करने को कहा तो भाई ने बहन को डोली विदा करने का वचन दिया। मंगलवार की रात जब मनोज की सांसें उखड़ने लगे तो घर वालों ने उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। बृहस्पतिवार को बहन की शादी की तैयारियां चल रही थीं। रात को बारात आनी थी, सभी बारात की अगवानी में लगे थे। बारात आई ,स्वागत हुआ, रात में विवाह की रस्में पूरी की जा रही थीं। इसी बीच भाई के मौत हो गई। मौत की खबर सुनते ही मंडप में ही संध्या बेसुध होकर गिर पड़ी। किसी तरह उसे होश में लाया गया। पल भर में खुशी का माहौल मातम में बदल गया। मनोज की मौत की खबर ने वहां मौजूद सभी को झकझोर कर रख दिया। शादी में मौजूद लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। इसी बीच गांव के कुछ समझदार और बुजुर्ग सामने आए। निर्णय हुआ कि विवाह को संपन्न कराया जाएगा और डोली विदा की जाएगी। बहन अपने पिता समान भाई को इस अवस्था में देख विदाई के लिए तैयार नहीं थी। संध्या को समझा-बुझाकर राजी किया गया। संध्या ने रोते हुए कहा कि मौत के बाद भी भाई ने अपना वचन पूरा कर दिया। एक तरफ बहन की डोली विदा हुई और दूसरी तरफ भाई की अर्थी यह मंजर देख वहां मौजूद लोग अपने आंसू नहीं रोक सके। लोगों का कहना था कि हमें एक ही परिवार की बेटी की डोली को विदा करना था तो वहीं उसी परिवार के बेटे की अर्थी को कंधा देने की जिम्मेदारी थी। गांव में इसके पहले ऐसा मंजर कभी नहीं देखा था।
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