Breaking News

आगरा: कोरोना काल में बज गया बैंडवालों का 'बैंड'

अरुण रावत, आगरा उत्तर प्रदेश के आगरा में कोरोना की वजह से हजारों बैंड-बाजे वालों के सामने खाने के लाले पड़ गए हैं। कोरोना ने इस शहर के प्रमुख उद्योग को काफी नुकसान पहुंचाया है। कोरोना की वजह से लोग घर की चाहरदीवारी में ही सात फेरे डालकर नए बंधन जोड़ रहे हैं। कोरोना के डर से शादी में 30 से 50 लोगों के शामिल होने की ही अनुमति होने के कारण ताजनगरी का बैंड कारोबार बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है। शहर के फुलट्टी स्थित नामचीन सुधीर बैंड के संचालक अमित शर्मा बताते हैं कि उनके यहां करीब सौ लोग काम करते हैं। इनमें से अधिकतर ऐसे हैं जो महीनेदारी पर काम करते हैं। इन्हें तीन महीने से घर से वेतन दे रहे हैं लेकिन अब काम की कोई उम्मीद न होने के कारण कुछ लोगों को घर भेज दिया है। कचहरी घाट स्थित जगदीश बैंड के संचालक भूपेन्द्र शर्मा कहते हैं कि अभी सहालग का समय चल रहा है। जहां पहले इस समय फुरसत नहीं मिलती थी। वहां अब कोई काम न होने के कारण हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। यह हैं शहर के नामचीन बैंड शहर के दर्जन भर नामचीन बैंड संचालकों में मिलन बैंड, प्रहलाद बैंड, चावला बैंड, श्रीजी बैंड, मोहन बैंड, किशोर बैंड, कुमार बैंड शामिल हैं। बैंड बजाने के लिए मुरादाबाद, रामपुर, बरेली और मेरठ से मजदूर आगरा आते हैं। इस कार्य में घोड़ा बग्गी, गुलाबवाड़, फोटोग्राफर भी शामिल हैं, जिन्हें भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। तीन महीने में 15 करोड़ से अधिक का नुकसान बैंड संचालकों ने बताया कि इन तीन महीनों में करीब 15 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है। एक बैंड के साथ करीब 30 से 50 लोग जुड़े होते हैं। बड़े बैंड में 100 व्यक्ति तक शामिल होते हैं। बड़े बैंड संचालक एक सहालग के लिए एक से ढाई लाख रुपये तक लेते हैं। जबकि मध्यम वर्गीय परिवार की शादियों की बुकिंग 30 से 50 हजार तक में होती है। नफीरी बजाने वाले भी इन दिनों खाली हाथ हैं।


from UP News: यूपी न्यूज़, UP News in Hindi, UP Samachar, Uttar Pradesh News, यूपी समाचार, उत्तर प्रदेश समाचार https://ift.tt/38ckxdl
via IFTTT

No comments