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कोरोना रिपोर्ट में भी खेल कर रहे जालसाज, एक ही रिपोर्ट एडिट करके बना रहे फर्जी निगेटिव रिपोर्ट

अखंड प्रताप सिंह, गाजियाबादगाजियाबाद जिले में कोरोना टेस्ट को लेकर चल रही अव्यवस्थाओं का फायदा अब जालसाजों ने उठाना शुरू कर दिया है। ठग सैंपल लेकर किसी और की रिपोर्ट में नाम एडिट कर लोगों को दे रहे हैं। एनएच-9 स्थित महागुनपुरम सोसायटी में ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां एक लैब के कलेक्शन एजेंट ने एक परिवार को फर्जी रिपोर्ट दे दी। पीड़ित ने खुद गड़बड़ी पकड़ी और पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस आरोपीको थाने लाई पर आरोप है कि मामले की गहराई से जांच किए बिना 151 में चालान करके उसे छोड़ दिया गया। फिलहाल आरोपी पुलिस कस्टडी से बाहर है। लेकिन सोसायटी के लोग अब भी अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। सोसायटी में रहने वाली आभा मित्तल ने बताया कि जब मामले का खुलासा हुआ तो उन्होंने अपनी रिपोर्ट का क्यूआर स्कैन करके चेक किया तो वह भी किसी दूसरे की निकली। मुझे जो रिपोर्ट दी गई थी उसमें मेरे नाम और उम्र को चेंज किया गया था। पता भी चेंज नहीं किया गया था। रिपोर्ट निगेटिव दी गई थी। लेकिन बाद में करवाया तो पॉजटिव आई। फिलहाल होम आइसोलेशन में हूं। ऐसे हुआ खुलासाइस सोसायटी के विधि टावर के 1612 नंबर फ्लैट में रहने वाले रोहित शर्मा ने बताया कि उनकी सोसायटी में ललित कुमार नाम का एक शख्स पैथॉलजी संग्रह केंद्र चलाता है। वह अलग-अलग लैब के लिए सैंपल कलेक्ट करता है। 22 अप्रैल को रोहित ने ललित को कोविड टेस्ट के लिए अपने घर बुलाया। उसने आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए सरकारी रेट 900 रुपये की जगह 1200 रुपये मांगे। रोहित का कहना है कि क्योंकि उनके पिता कोविड पॉजिटिव थे, इसलिए उन्होंने टेस्ट के लिए हामी भर दी। आरोपित ललित उनका, उनकी पत्नी व मां का सैंपल ले गया। उसने दो दिन में रिपोर्ट देने की बात कही। 24 तारीख को रात 10:30 बजे हमें रिपोर्ट मिल गई। रिपोर्ट जब उनके फोन पर आई तो कुछ बातों की वजह से उन्हें शक हुआ। दरअसल 2 रिपोर्ट पीडीएफ फॉर्मेट में थी, जबकि एक जेपीजी फॉर्मेट में। इस बात पर उनका दिमाग ठनका। उन्होंने सोचा कि एक ही लैब की रिपोर्ट 2 फॉर्मेट में कैसे आ सकती है। इस बात पर उन्हें शक हुआ। उन्हें रिपोर्ट में एक क्यूआर कोड दिखा। उन्होंने उस कोड को स्कैन किया, तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। उनके सामने जो रिपोर्ट स्कैन करने के बाद खुली, उसका नंबर और अन्य जानकारी वही थी, जो उनकी रिपोर्ट में थी। पर रिपोर्ट में नाम किसी और का था और उम्र भी कुछ और थी। इसके बाद उन्होंने बाकी रिपोर्ट को भी स्कैन किया तो उसमें भी इसी तरह की गड़बड़ी मिली। इसके बाद उन्होंने ललित को एक और सैंपल लेने के बहाने घर पर बुलाया। जब वह घर आया तो उन्होंने गड़बड़ी का जिक्र किया, इस पर उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। इसके बाद उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस आरोपी को ले गई, लेकिन बाद में छोड़ दिया गया। रो‍हित का कहना है कि मैं पॉजिटिव हूं, इसलिए अभी कहीं बाहर नहीं जा सकता और आरोपी को सजा नहीं दिलवा पा रहा हूं। ये रिपोर्ट बनाकर दी थीरोहित ने बताया कि उनके यहां से सैंपल ले जाने के बाद जो फर्जी रिपोर्ट ललित ने तैयार की थी, उसके अनुसार उन्हें उसने निगेटिव दिखाया था। जबकि उनकी मां को पॉजिटिव बताया था। वहीं उनकी पत्नी की रिपोर्ट में भी उसने कोरोना न होने की बात कही थी। गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद जब ललित से ही उन्होंने एंटीजन किट से टेस्ट कराया तो उसमें उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। रोहित का कहना है कि अभी मां और पत्नी का दोबारा टेस्ट कराने का कोई विकल्प नहीं बन पाया है। बाकी लोगों के साथ भी यही हुआ है खेलजब रोहित शर्मा का मामला खुला तो उन्होंने इस बात को सोसायटी के ग्रुप पर डाला दिया। इसके बाद जिन लोगों ने ललित से आरटीपीसीआर टेस्ट करवाया था। सब ने इसकी जांच करनी शुरू कर दी थी। बताया जा रहा है कि करीब 150 लोगों की जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी पाई गई है। जिसमें किसी दूसरे की रिपोर्ट में केवल नाम और उम्र बदल दिया गया है। अब दोबारा टेस्ट के बाद कई ऐसे लोग जिनकी रिपोर्ट निगेटिव बताई गई थी, उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। संक्रमण की वजह से लोग इस मामले को बहुत अधिक एक्टिव होकर नहीं उठा पा रहे हैं। मनमाने पैसे वसूल रहा थासोसायटी के लोगों का कहना है कि आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए ललित कुमार मनमाने पैसे वसूल रहा था। किसी से वह 1200 रुपये लेता था तो किसी ने 1500 रुपये वसूलता था। कुछ लोगों से उसने एक टेस्ट के लिए 2000 तक रुपये लिए हैं। इसी सोसायटी के एक परिवार ने 12 हजार रुपये देकर 6 लोगों का कोरोना टेस्ट करवाया था। अब ऐसे लोगों को दोबारा से टेस्ट करवाना पड़ रहा है। पुलिस ने नहीं लिया मामले को गंभीरता सेसोसायटी के लोगों का कहना है कि पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया है। जिसकी वजह से आज ललित कुमार बाहर है। यदि सामान्य समय होता तो सोसायटी के लोग एकजुट होकर थाने जाते और कार्रवाई किए जाने की मांग करते, पर अभी वह मजबूर हैं। वहीं कविनगर एसएचओ अजय सिंह का कहना है कि इस मामले में 112 की टीम ललित कुमार को लेकर आई थी। जब पूछा गया तो उसने बताया कि टाइपिंग ऐरर की वजह से यह गलती हुई है। इसके बाद उसका 151 में चालान करके उसे छोड़ दिया गया था। यदि सोसाइटी में बड़ी संख्या में लोगों के साथ ऐसा हुआ है और वह लिखकर शिकायत दें। इसके बाद पुलिस वैधानिक कार्रवाई करेगी। दूसरे जगह भी सामने आए हैं ऐसे मामलेमुंबई में आरटीपीसीआर की फर्जी निगेटिव रिपोर्ट बनाने वाले दो लोगों को 21 अप्रैल को क्राइम ब्रांच की टीम ने गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक इन दोनों आरोपितों ने अब तक 100 से ज्यादा फर्जी निगेटिव रिपोर्ट लोगों को बेची है। हर एक निगेटिव रिपोर्ट तकरीबन हजार रुपये में लोगों को बेची। इनमें से एक आरोपी लैब में काम करता है। महाराष्ट्र के बाहर जाने से पहले कई राज्यों में लोगों को आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट की जरूरत पड़ती है। आरोपी उन्हें ही ये रिपोर्ट देते थे। बरतें सावधानी-कोरोना टेस्ट अगर सरकारी सेंटरों पर कराएं तो सबसे बेहतर। -अगर सरकारी सेंटर पर टेस्ट नहीं हो पा रहा है और प्राइवेट से कराना है तो छोटे लैब का चयन न करें। किसी बड़े और नामी लैब से ही टेस्ट कराएं। -जब सैंपल कलेक्ट हो जाए और रेफरेंस नंबर मिले, तो एक बार कंपनी के कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करके क्रॉस चेक कर लें। ताकि सुनिश्चित हो सके कि कंपनी का कर्मचारी ही सैंपल ले गया है। -रिपोर्ट आने के बाद उसमें दिए बार कोड को स्कैन करके देखें, अगर किसी तरह की छेड़छाड़ आपकी रिपोर्ट में हुई होगी तो भी स्कैन कॉपी में असली जानकारी आएगी। -रिपोर्ट आने के बाद रिपोर्ट में जो भी बात है, उसे लैब के कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करके वेरिफाई कर लें। -कई लैब कंपनियां अपनी वेबसाइट पर भी रिपोर्ट का स्टेटस चेक करने का विकल्प देती हैं, आप इस तरीके से भी अपनी रिपोर्ट को क्रॉसचेक कर सकते हैं।


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