अंधेरगर्दी जारी...7 घंटे तक स्ट्रेचर पर पड़ा रहा कोरोना संक्रमित का शव, भटकता रहा बेटा
लखनऊ स्ट्रेचर पर पड़ा शव और उससे लिपटकर रोती महिला। लोहिया संस्थान में बुधवार को कोरोना संक्रमित की मौत के बाद कोई मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था। पिता के शव को घाट तक ले जाने के लिए वाहन की तलाश में बेटा भटकता रहा। इस दौरान महिला सात घंटे तक बिलखती रही। इसके बाद किसी तरह निजी वाहन का इंतजाम करके शव ले जाया गया। यह अकेला मामला नहीं है। कई जगह संक्रमण से जान गंवाने वालों के शव घाट तक पहुंचाने के लिए विभाग की तरफ से वाहन नहीं मिल रहे हैं। गोमतीनगर निवासी अरविंद दो दिन पहले लोहिया संस्थान में भर्ती करवाए गए थे। मौत के बाद शव स्ट्रेचर पर डालकर परिवारीजनों के सुपुर्द कर दिया गया। कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार अंतिम संस्कार की व्यवस्था भी नहीं करवाई गई। यह स्थिति तब है जबकि एक दिन पहले मंगलवार को ही हाई कोर्ट ने कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार प्रोटोकॉल के साथ करवाने के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद संक्रमितों की बॉडी पैक करना तो दूर सामान्य मरीजों की तरह छोड़ी जा रही हैं। परिवारीजन ही किसी तरह वाहन का इंतजाम करके शव ले जाने को विवश हैं। गौरतलब है कि लोहिया संस्थान के कोविड हॉस्पिटल में एक ही शव वाहन है। संस्थान की इमरजेंसी में वाहन की कोई व्यवस्था नहीं है, जबकि वहां भी संक्रमित मरीज आ रहे हैं। ऐसे में निजी वाहन चालक मनमाने दाम वसूल रहे हैं। शव को छोड़ा लावारिसलोहिया में ही बुधवार को संक्रमित मरीज की मौत के बाद शव को लावारिस छोड़ दिया गया। इमरजेंसी के बाहर घंटों शव स्ट्रेचर पर पड़ा रहा, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार मरीज को एक युवक लेकर आया था, जो मौत के बाद शव छोड़कर चला गया। इससे पहले भी लोहिया में एक संक्रमित को परिवारीजन छोड़कर चले गए थे। निधन के बाद कुछ लोगों ने मानवता दिखाते हुए अंतिम संस्कार करवाया था।
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