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हाथरस केसः पीड़िता के गांव की घेराबंदी क्यों? पुलिस बोली- SIT जांच पूरी हो जाने तक जारी रहेगी रोक

हाथरस उत्तर प्रदेश में हाथरस कांड को लेकर पुलिस की कार्यशैली लगातार रहस्यमयता को बढ़ाने में लगी है। मामले की शुरू होने के बाद पुलिस ने रेप पीड़िता के गांव को पूरी तरह से सील कर दिया है। जानकारी मिली कि पुलिस ने सभी ग्रामीणों के फोन तक छीन लिए हैं। किसी को गांव के बाहर आने-जाने की अनुमति नहीं है। मीडिया और राजनीति से जुड़े लोगों को भी गांव में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। पुलिस ने पीड़िता के गांव में इस तरह के प्रतिबंध का कारण एसआईटी जांच को बताया है। अपर पुलिस अधीक्षक प्रकाश कुमार ने शुक्रवार को यह बात समझाने की कोशिश की कि गांव में मीडिया के प्रवेश पर एसआईटी जांच की वजह से प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने कहा कि गांव का माहौल बिगड़ने के डर से तथा लॉ ऐंड ऑर्डर बनाए रखने के लिए गांव में पॉलिटिकल लोगों की आवाजाही रोक दी गई है। उन्होंने बताया कि गांव में मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंध एसआईटी जांच के पूरी हो जाने के बाद ही हटाया जाएगा। पुलिस ने सीज किया गांव उधर गांव से छिपकर आए बच्चे ने जो बात बताई है वह डराने वाली है। बच्चे के दावे ने पुलिस की कार्यशैली को और संदिग्ध बना दिया है। बच्चे ने बताया कि पशुओं का चारा लाने के बहाने गांव से बाहर निकल आया है। गांव में पुलिस ने एकदम डरावना माहौल बना दिया है। सभी को घरों में कैद कर दिया गया है। पुलिसवाले उन्हें हर पल डरा रहे हैं। सभी के फोन बंद कर दिए गए हैं। युवक ने मीडिया से बात करते हुए बताया, 'डीएम आए थे। उन्होंने ताऊ की छाती पर लात मारी। वह बेहोश हो गए। उनकी तबीयत खराब है। मैं छिपकर खेतों से यहां तक आया हूं। ताऊ ने कहा कि मीडिया वालों से बात करनी है बुला लाओ।'


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