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भूंकप के इतने झटके क्यों, UP पर कितना खतरा?

सुमित शर्मा, कानपुर देश में हिमालय जोन में भूकंप () आने की सबसे ज्यादा संभावना है। यदि हिमालय जोन (Himalayan Zone) में 7.5 से 8.5 रिक्टर पैमाने पर भूकंप आता है तो दिल्ली एनसीआर और उत्तर प्रदेश के हिस्से प्रभावित हो सकते है। (Indian Institute of Technology Kanpur) के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रफेसर जावेद एन मलिक का कहना है कि हिमालय जोन में इंडियन प्लेट और तिब्बती प्लेट आपस में टकराती रहती हैं। इसमें इंडियन प्लेट, तिब्बती प्लेटों के नीचे भी जाती है, जिसकी वजह से भूकंप आने की संभावना ज्यादा बनी रहती है। प्रफेसर मलिक ने बताया, 'हिमालय के करीबी हिस्सों भूकंप का ज्यादा असर देखने को मिलता है। उत्तर प्रदेश में भी झटके महसूस किए जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश को भूकंप की लिहाज से जोन तीन में रखा गया है।' यह भी पढ़ें: आईआईटी कानपुर में पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रफेसर जावेद एन मलिक के मुताबिक, 2001 से पहले भुज का भूकंप आया था, तब हमारे देश का माइक्रो जोनेशन किया गया था। उस वक्त 5 जोन हुआ करते थे और 2001 के बाद उसको कम किया गया क्योंकि 2001 के भूकंप में जो तीव्रता महसूस की गई वह काफी अलग थी। अब हमारे पास चार जोन है और उत्तर प्रदेश जोन तीन में आता है। 'मैं यह नहीं कह सकता कि हम सुरक्षित हैं'प्रफेसर मलिक कहते हैं, 'हिमालय की जो श्रंखला है, यदि वहां देखा जाए तो तनाव रहता है। दरअसल, इंडियन प्लेट और तिब्बती प्लेट टकराती रहती हैं और इंडियन प्लेट इसके नीचे भी जाती है। हिमालय के करीब का जो भी एरिया है, वहां इसका असर ज्यादा होगा। जब भूकंप आता है और तरंग आगे बढ़ती है तो इसका असर अलग-अलग स्थानों पर डिफरेंट होता है। जब 2015 में नेपाल में भूकंप आया था तो हिमालय के आसपास के क्षेत्र में इसका असर ज्यादा देखा गया। इसके लिए वहां की मिट्टी की जांच करना बहुत जरूरी है। हिमालय जोन के हिस्सों में नुकसान ज्यादा होगा, लेकिन हम यह नहीं कह सकते हैं कि हम लोग सुरक्षित हैं। सिर्फ इतना होगा कि नुकसान कम होगा।' यह भी पढ़ें: 'इस बात का अध्ययन है जरूरी'प्रफेसर जावेद एन मलिक कहते हैं, 'उत्तर प्रदेश में भूकंप के झटके तभी लगेंगे, जब हिमालय जोन में कंपन होगा। यूपी में ऐसे भूकंप नहीं आ सकता है। जब फॉल्टलाइन की बात आती है हमारे अध्यनों में इसे एक्टिव फॉल्टलाइन कहा जाता है। पिछले 10 हजार वर्षो में कब-कब भूकंप आए हैं। ऐक्टिव फॉल्टलाइन हिमालय, कच्छ, अंडमान-निकोबार एरिया में हैं। तीनों क्षेत्र बहुत ही ऐक्टिव हैं। इसके अलावा और भी इलाकों में हमको अध्यन करना जरूरी है क्योंकि पूरी प्लेट एक दबाव में है। हिमालय जोन में भूकंप आने संभावना ज्यादा रहती है और कम अंतराल में आते हैं।' 'इंडियन प्लेट का मजबूत हिस्सा फिर भी...'प्रफेसर का कहना है, 'लातूर का भूकंप आया था तो हम लोग यही सोचकर बैठे रहे कि यहां पर भूकंप आ नहीं सकता है। वहां पर इंडियन प्लेट को एक बहुत मजबूत हिस्सा माना जाता है। कच्छ भी ऐसा ही हिस्सा है, जो हिमालय से काफी दूर है। कच्छ के इलाके को भी हम लोग ठीक तरीके से समझ नहीं पाए है। वहां भी काफी बड़े भूकंप आ चुके है।'


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